MP कांग्रेस में लंगड़ा घोड़ा कौन?, कमलनाथ और दिग्विजय के रिटायरमेंट को लेकर चर्चा तेज

राहुल गांधी के लंगड़े घोड़े वाले बयान से एमपी कांग्रेस के कई सीनियर और निष्क्रिय नेताओं का सियासी भविष्य संकट में आ गया। वही सियासी गलियारों में कमलनाथ, दिग्विजय सिंह, कांतिलाल भूरिया और डॉक्टर गोविन्द सिंह के रिटायरमेंट को लेकर चर्चाएं तेज हो गई , लेकिन जीतू पटवारी ने कहा कि सीनियर नेता उनके सिर का ताज है।
कांग्रेस नेता राहुल गांधी के एक बयान ने मध्य प्रदेश कांग्रेस में बड़ी हलचल मचा दी है. राहुल गांधी ने हाल ही में कहा, “रेस के लिए रेस का घोड़ा चाहिए, शादी के लिए नहीं.” इस बात ने साफ कर दिया कि कांग्रेस अब सिर्फ दिखावे नहीं, काम करने वाले नेताओं को आगे बढ़ाएगी. राहुल गांधी ने मध्य प्रदेश में कांग्रेस नेताओं को तीन “घोड़ों” से समझाया. उन्होंने कहा, “रेस के लिए रेस का घोड़ा चाहिए, यह घोड़ा शादी जैसे कार्यक्रमों के लिए नहीं है.” यहां उन्होंने कहा कि शादी के घोड़े यानी ये वो नेता हैं जो सिर्फ पद पर हैं, उनका रुतबा है, पर जमीन पर काम नहीं करते. ये सिर्फ दिखावे के लिए हैं. इसके अलावा उन्होंने तीसरी कैटगरी में लंगड़ा घोड़ा रखा है. राहुल गांधी ने इसका जिक्र कर उन निष्क्रिय नेताओं पर निशाना साधा जो पार्टी पर बोझ बन गए हैं और आगे बढ़ने में बाधा डाल रहे हैं। जीतू पटवारी ने राहुल के बयान का अर्थ समझाया है।
राहुल गांधी का यह बयान ऐसे समय आया है जब मध्य प्रदेश कांग्रेस गुटबाजी और आपसी खींचतान से परेशान है. टिकट बांटने में भी भेदभाव के आरोप लगते रहे हैं. राहुल गांधी का इशारा उन नेताओं की तरफ है, जो लंबे समय से बड़े पदों पर हैं. लेकिन, उनका जनता से कोई खास जुड़ाव नहीं है. लेकिन पार्टी के बुजुर्ग नेता पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह, कमलनाथ और कांतिलाल भूरिया जैसे नेताओं का राजनीतिक भविष्य खतरे में दिखाई दे रहा है। राहुल गांधी के बयान से साफ है कि भविष्य में बुजुर्ग नेताओं को लोकसभा या विधानसभा का टिकट नहीं मिलेगा। लेकिन पीसीसी चीफ जीतू पटवारी कह रहे सीनियर नेता हमारा ताज है।
वर्तमान में दिग्विजय सिंह राज्यसभा सदस्य हैं और कमलनाथ विधायक हैं। जबकि कांतिलाल भूरिया पिछला लोकसभा चुनाव हार चुके हैं। फिलहाल उनके पास कोई दायित्व नहीं है। इसी तरह चंबल क्षेत्र में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ गोविंद सिंह भी पिछला विधानसभा चुनाव हार चुके हैं। उनके पास भी कोई जिम्मेदारी नहीं है। फिलहाल मप्र कांग्रेस में अन्य कोई बुजुर्ग नेता ऐसा नहीं है, जो सक्रिय है। पार्टी में चर्चा है कि संगठन सृजन अभियान के बाद ये नेता भी सक्रिय राजनीति से किनारे कर दिए जाएंगे।