MP: कौन बनेगा नया मुख्य सचिव और GDP!, इन अधिकारियों के नाम आगे

मध्यप्रदेश में नए मुख्य सचिव और डीजीपी के लिए कवायद शुरू हो गई है। आईएएस अफसर राजेश राजौरा, एसएन मिश्रा में से कोई एक मुख्य सचिव बन सकता है, वही अजय शर्मा या अरविंद कुमार में से कोई एक सूबे का नया डीजीपी बन सकता है।
मध्यप्रदेश की मोहन यादव सरकार 13 दिसंबर को अपना एक साल पूरा करेगी। उससे पहले सरकार के प्रशासनिक चेहरे बदल जाएंगे। दरअसल, मौजूदा मुख्य सचिव वीरा राणा 30 सितंबर तो डीजीपी सुधीर सक्सेना 30 नवंबर को रिटायर हो रहे हैं। वीरा राणा को दूसरी बार एक्सटेंशन देने के लिए सरकार ने केंद्र को कोई पत्र नहीं लिखा है। नए सीएस और डीजीपी कौन होंगे इसके लिए कवायद शुरू हो गई है। अगला मुख्य सचिव, अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा और एसएन मिश्रा में से कोई एक बनेगा। वहीं, डीजीपी के लिए भी दो नाम दौड़ में शामिल हैं। इनमें से एक नाम EOW डीजी अजय शर्मा और दूसरा नाम होमगार्ड डीजी अरविंद कुमार का है।
दरअसल, लोकसभा चुनाव के नतीजे आने के हफ्ते भर बाद ही 1990 बैच के IAS अपर मुख्य सचिव डॉ. राजेश राजौरा की मुख्यमंत्री कार्यालय में अपर मुख्य सचिव के तौर पर नियुक्ति की गई थी। इसके बाद ये संकेत मिल गए थे कि वे मध्यप्रदेश के अगले मुख्य सचिव के लिए प्रबल दावेदार हैं।
राजौरा अपर मुख्य सचिव स्तर के पहले अफसर हैं, जिन्हें मुख्यमंत्री कार्यालय में पदस्थ किया गया है। वही गृह विभाग के अपर मुख्य सचिव एसएन मिश्रा भी 1990 बैच के अफसर हैं। उनके पास परिवहन विभाग का अतिरिक्त प्रभार भी है। जब डॉ. राजौरा एसीएस गृह थे, तब उनके पास भी परिवहन विभाग था। मिश्रा गृह विभाग के प्रमुख सचिव भी रह चुके हैं।
उधर, नए डीजीपी के लिए भी दौड़ शुरू हो गई। मंत्रालय सूत्रों का कहना है कि सुधीर सक्सेना की गिनती स्वच्छ छवि वाले अफसरों में होती है। यही वजह है कि मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने मार्च 2024 में उन्हें 2 साल का कार्यकाल पूरा होने के बाद भी डीजीपी बनाए रखा है और फ्री हैंड भी दिया। मौजूदा डीजीपी सक्सेना इसी साल नवंबर में रिटायर हो रहे हैं। नए नियमों के मुताबिक डीजीपी की दौड़ में अरविंद कुमार, अजय कुमार शर्मा और जीपी सिंह आगे हैं। सूत्रों का कहना है कि इसी में से किसी एक नाम पर सहमति बन सकती है। हालांकि कैलाश मकवाना भी जोर लगा रहे हैं।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट के मुताबिक डीजीपी की नियुक्ति कम से कम दो साल के लिए होना अनिवार्य है। इससे अधिक वक्त के लिए भी डीजीपी को रखा जा सकता है।