MP: मोहन ‘राज’ में कंट्रोल है नौकरशाही, सुशासन की मिसाल पेश कर रहे सरकार

मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव सख्त एक्शन और सुशासन के कारण देशभर में मिसाल बन गए है। एमपी के इतिहास में पहली बार ऐसा लगने लगा है कि नौकरशाह पर मुखिया का पूरा कंट्रोल है। मोहन के सख्त प्रशासक की ये छवि संघ और बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व को भी पसंद आ रही है।
मध्यप्रदेश की नौकरशाही के बारे में कहा जाता है कि उनपर किसी का अंकुश नहीं चलता। अगर पिछले दो दशक दौरान भाजपा और कांग्रेस का शासनकार देखते तो यह बात सही भी लगती है , शिवराज सरकार के समय तो मंत्रियों की शिकायत रहती थी कि विभागीय अधिकारी उनकी सुनते नहीं है , प्रदेश की नौकरषै को लेकर सघ भी सरकार को सोचते करता रहता था लेकिन वर्त्तमान मुख्यमंत्री डॉक्टर मोहन यादव के 10 महीने के शासनकाल में उनके सख्त एक्शन और सुशासन और पारदर्शिता की दिशा में कई महत्वपूर्ण कदम उठाए है जिसने जनता का विश्वास और समर्थन जीता है।
मोहन यादव जिस तरह से सख्त फैसले ले रहे है उससे साफ दिख रहा कि उनकी सरकार के लिए जनता सर्वोपरि है। नौकरशाही पर अपना प्रभाव बनाने के लिए मोहन यादव ने कुछ ठोस फैसले लिए और उनके कार्यशेमी में आक्रामकता भी नजर आई। इन दिनों सीएम मोहन यादव उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की स्टाइल में भी काम करते नजर आ रहे है। मोहन यादव ने जन समस्याओं से जुड़े कुछ बड़े फैसले लेकर अपने राजनीतिक कुशलता का नजराना भी पेश किया है। जिलों, तहसीलों और थानों का रिशेड्यूलिंग यानि पुनिर्धारण करने का उनका अहम् फैसला रहा है।
भ्रष्टाचारियों पर नकेल , जमाखोरी पर लगाम , सूचनाओं की सटीक पारदर्शिता। मोहन सरकार ने इन मामलों को लेकर कुछ सटीक कदम उठाए है। सरकार के इन फैसलों से मौका परस्त अफसरों पर लगाम कसने की उम्मीद है। प्रदेश के तीन जिलों में EOW और लोकायुक्त के दफ्तर खोले जाएंगे जिससे घोटालेबाजों और भ्रष्टाचारियों पर शिकंजा कसा जाएगा। कुल मिलाकर देखा जाए तो अपने फैसलों से मोहन यादव नौकरशाही पर कंट्रोल करने में काफी हद तक सफल हुए है।