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गंगा में डुबकी लगाने से गरीबी खत्म होगी क्या?, महाकुंभ स्नान पर मल्लिकार्जुन खड़गे का जहरीला बयान

महू में बाबा साहब के हितेषी बनने आए राहुल गाँधी के साथ कांग्रेस के राष्ट्रिय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खडगे ने महाकुम्भ को लेकर ऐसा जहर उगला की बीजेपी के साथ साथ तमाम हिन्दू संगठन आगबबूला हो गए। खडगे ने कहा की कुंभ स्नान का कॉम्पिटिशन चल रहा है, गंगा स्नान से गरीबी दूर होती है क्या? खड़ेगी के इस बयान से सियासी बवाल मच गया। 

कुंभ स्नान पर सियासत परेशान होने लगी है. जहां एक तरफ देश में अब तक 14 करोड़ लोग महाकुंभ के दौरान संगम में स्नान कर चुके हैं और देश के तमाम नेता गंगा में डुबकी लगाने पहुंच रहे हैं, वहां कांग्रेस अध्यक्ष गंगा स्नान में रोजी-रोटी-राजनीति लेकर आ गए हैं. प्रयागराज से 925 किमी दूर, मध्य प्रदेश के महू यानी संविधान निर्माता डॉक्टर भीमराव अंबेडकर की जन्मस्थली पर कांग्रेस की ‘जय बापू, जय भीम, जय संविधान रैली’ में कांग्रेस अध्यक्ष ने एक बयान दिया. मल्लिकार्जुन खड़गे ने कहा, ‘गंगा में डुबकी लगाने से क्या गरीबी दूर होती है, क्या भरपेट खाना मिलता है.

ये जानते हुए कि, इस बयान से आस्था को चोट पहुंच सकती है, खड़गे रुकते नहीं, आगे कहते हैं, ‘मैं किसी की आस्था को चोट नहीं पहुंचाना चाहता. अगर किसी को दुख हुआ तो मैं माफी चाहता हूं. लेकिन आप बताइए, बच्चा भूखा मर रहा है, स्कूल नहीं जा रहा, मजदूरों को मजदूरी नहीं मिल रही और ये लोग जाकर हजारों रुपए खर्च करके कंपटीशन में डुबकी मार रहे हैं. खड़गे के इस बयान पर बीजेपी आगबबूला है। 

सवाल उठता है कि कुंभ में स्नान करते राजनेताओं या फिर करोड़ों लोगों के वहां पहुंचने से खड़गे को क्या आपत्ति है. अगर नहीं है तो जब दावा किया जा रहा है कि महाकुंभ में अगले तीन से चार दिन में गंगा स्नान करने वाले आस्थावान लोगों की संख्या दोगुनी तक जा सकती है, तब खड़गे ये क्यों पूछते हैं कि गंगा में डुबकी से क्या गरीबी दूर होगी? जबकि कुंभ का आयोजन हो या फिर गंगा स्नान दोनों का संबंध गरीबी दूर करने के किसी नारे से नहीं बल्कि सीधे आस्था से जुड़ा है.

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