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Indore निभाएगा 100 साल पुरानी झांकी की परंपरा, अनंत चतुर्दशी पर निकलेगा चमचमाता कारवां

धर्म और संस्कृति के शहर इंदौर में अनंत चतुर्दशी पर 100 साल पुरानी झांकी निकलने की परंपरा आज भी जारी है, जहां अबकी बार भी इस परंपरा का निर्वहन पूरे हर्षोल्लास से किया जाएगा, जिसके लिए सभी मिलों की ओर से अलग-अलग झांकियों का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है.

अनंत चतुर्दशी पर निकलने वाली भव्य झांकियों की परंपरा, जिसे 101 साल पूरे हो चुके हैं. यह परंपरा सबसे पहले 1923 में सेठ हुकुमचंद द्वारा हुकुमचंद मिल से शुरू की गई थी. सेठ हुकुमचंद न केवल इंदौर के प्रसिद्ध उद्योगपति थे, बल्कि उन्होंने इंदौर के सामाजिक और धार्मिक आयोजनों में भी अपना महत्वपूर्ण योगदान दिया. वहीं उनके द्वारा शुरू की गई झांकियों की ये परंपरा आज भी जीवंत है.

अनंत चतुर्दशी पर निकलने वाली इन झांकियों का भव्य चल समारोह इंदौर के जेल रोड से शुरू होता है. इस समारोह में सबसे पहले खजराना गणेश मंदिर की झांकी होती है, जिसमें खजराना गणेश भगवान की प्रतिमा विराजित होती है. जिला प्रशासन द्वारा विधिवत पूजन के बाद इस चल समारोह की शुरुआत होती है. पंडित अशोक भट्ट ने बताया कि, खजराना गणेश मंदिर से अबकी बार सोलर एनर्जी की झांकी आकर्षण का केंद्र रहेगी. राजकुमार मिल की झांकी में अबकी बार मोटू-पतलु और बांसों के नाग की झांकी आकर्षण का केंद्र रहेगी.

हुकुमचंद मिल की झांकियों की परंपरा से प्रेरित होकर, इंदौर की अन्य प्रमुख मिलें जैसे मालवा मिल, स्वदेशी मिल, राजकुमार मिल, और कल्याण मिल ने भी अनंत चतुर्दशी पर झांकियों का निर्माण शुरू किया. इन मिलों के मजदूर और कलाकार आज भी इस परंपरा को निभा रहे हैं.

कुलमिलाकर, देखा जाए तो धर्म और संस्कृति के शहर इंदौर में अनंत चतुर्दशी पर 100 साल पुरानी झांकी निकलने की परंपरा आज भी जारी है, जहां अबकी बार भी इस परंपरा का निर्वहन पूरे हर्षोल्लास से किया जाएगा, जिसके लिए सभी मिलों की ओर से अलग-अलग झांकियों को निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है.

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