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Indore: इंदौर पार्षद की काली कहानी का THE END, PMO और BJP संगठन दखल न देता तो सबक कैसे मिलता

इंदौर की राजनीति की काली कहानी का THE END हो गया। भाजपा पार्षद के घर में घुसकर हमले करने के 8 दिन बाद BJP ने एमआईसी मेंबर जीतू यादव जाटव को 6 साल के लिए बाहर निकाल दिया। इस खबर में हम आपको सिलसिलेवार तरीके से बताएंगे कैसे दो पार्षदों का विवाद होता है फिर घर पर पारिवारिक सदस्यों के साथ मारपीट की जाते है और शहर के नेता मौन बैठे रहते है।

सोशल मीडिया पर एक ऑडियो वायरल हो होता है। भाजपा पार्षद कमलेश कालरा  निगमकर्मी यतींद्र यादव से अभद्रता से बात करते सुनाई देते है। इस दौरान वे MIC मेंबर जीतू यादव का नाम लेकर अपशब्द बोलते है।

बीजेपी पार्षद कमलेश कालरा के घर 30 से 40 गुंडे हमला कर देते है। कालरा जीतू यादव उर्फ़ जीतू जाटव पर आरोप लगाते है। इसके बाद इस विवाद में नया मोड़ आ जाता है। 

आरोप के मुताबिक जीतू यादव के गुंडे कमलेश कालरा के घर घुसकर रावण से भी शर्मनाक हरकत करते है, कालरा की माँ और पति के साथ अभद्रता की जाती है , नाबालिग बेटे को नग्न कर उसके प्राइवेट पार्ट को खिंचा जाता है , जैसे तैसे परिवार जान बचाता है लेकिन शर्म की बात ये है कि इंदौर के राजनेता  इंसानियत, संवेदना और मानवता के चीरहरण पर मौन साध लेते है। शहर के बड़े बड़े मंत्री , संसद और विधायक कुछ नहीं बोलते। शहर की पुलिस भी सियासी सिस्टम का खिलौना बनकर मौन बैठी रहती है, जब मोहन यादव सोशल मीडिया पर पोस्ट कर कार्रवाई के निर्देश देते है तब जाकर पुलिस 40 में से 10 गुंडों को पहचानती है और सिर्फ 6 को गिरफ्तार कर जेल भेजती है

सोशल मीडिया पर कमलेश कालरा और जीतू यादव का एक और वीडियो वायरल होता है,  इसमें जीतू ने कहा, संगठन जाए चूल्हे में। मैं अपनी जगह और संगठन अपनी जगह। घटना की शिकायत पार्षद कालरा ने पीएमओ और पार्टी अध्यक्ष जेपी नड्‌डा से की थी।

PMO ने पार्षद कांड और कालरा के बेटे को निर्वस्त्र करने के मामले में विस्तृत रिपोर्ट तलब की। जीतू यादव ने अपना इस्तीफा लिखकर सोशल मीडिया पर वायरल किया। थोड़ी देर बाद BJP प्रदेश संगठन ने फरमान जारी कर जीतू यादव को पार्टी से बहार का रास्ता दिखा दिया। महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने भी फरमान जारी कर जीतू यादव को महापौर परिषद् से आउट कर दिया। 

इस विवाद में नेता, विधायक , मंत्री , संसद , महापौर सब में थे लेकिन लोकतंत्र के चौथे स्तम्भ के कलमकार और पत्रकार अपनी भूमिका का बखूबी निर्वहन कर रहे थे , मीडिया की खबरों का असर ये हुआ कि नेताओं को दबे छिपे पांव कालरा के साथ खड़ा होना पड़ा। 

इंदौर की सियासत का ये दूसरा कांड है जिसकी गूंज दिल्ली तक पहुंची है , जिससे कई नेताओं का चरित्र भी सामने आया है।  वही बीजेपी ने भी सख्त कार्रवाई से ये सन्देश दिया कि अपराध और अनुशासन कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा चाहे फिर पार्टी का नेता क्यों न हो। 

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