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Dhar का एक मात्र प्राचीन तीर्थ कोटेश्वर, पानी से रहता है डूबा कोटेश्वर

धार जिले का एक मात्र प्राचीन तीर्थ कोटेश्वर जो कुक्षी तहसील अंतर्गत निसरपुर के समीप नर्मदा किनारे बसा हुआ है, जो गुजरात के केवडिया में बने सरदार सरोवर बांध परियोजना से पिछले पांच वर्षों से लगातार डूबा रहता है. इस प्राचीन तीर्थ का उल्लेख नर्मदा पुराण शिव पुराण सहित कई पुराणों में वर्णित है, जिसमें पुरातात्विक महत्व के प्राचीन शिवलिंग और मंदिर स्थित है.

इस तीर्थ का कितना महत्व है, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि, धार, अलीराजपुर, झाबुआ, गुजरात, महाराष्ट्र सहित कई राज्यों के हजारों की संख्या में नर्मदा भक्त प्रतिदिन स्नान के लिए पहुंचते हैं, लेकिन वर्तमान में सरदार सरोवर बांध के पूर्ण जल भराव के कारण मुख्य तीर्थ डूबा हुआ है, जो प्रति वर्ष लगभग छह माह से ज्यादा दिनों तक डूबा रहता. इस कारण आने वाले श्रद्धालु तीर्थ के समीप कोठड़ा में नर्मदा स्नान के लिए पहुंचते हैं.

बता दें कि, कोटेश्वर तीर्थ में कई प्राचीन मंदिर और आश्रम स्थित है जिनके पुजारी और जुड़े हुए ट्रस्टी और सामाजिक संस्थाओं के साथ स्थानीय रहवासियों और दुकानदारों के द्वारा लंबे समय से प्राचीन तीर्थ कोटेश्वर के घाट और मंदिरों को बांध के बैक वाटर के समीप कोठड़ा में पुनर्स्थापित करने की मांग चल रही है, जिसको लेकर कई बार चर्चा और आवेदन दिए जा चुके हैं. अभी वर्तमान में प्रतिदिन हजारों श्रद्धालु कोठड़ा में बैक वाटर में रोड पर ही स्नान पूजन करते हैं.

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