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Indore: पद तो है कलेक्टर, लेकिन दुआओं से भरा है केरेक्टर, मिसाल बने आशीष सिंह

पद तो है कलेक्टर, लेकिन दुआओं से भरा है उनका केरेक्टर, जी हाँ इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह आर्थिक तंगी से जूझ रहे 22 बच्चों की फीस अपनी सैलरी से अदा कर न सिर्फ संवेदनशीलता दिखाते हुए मानवता की मिसाल पेश की है बल्कि एक कुशल प्रशासनिक मुखिया का उदाहरण भी पेश किया है।

जिन बच्चों के लिए परीक्षा की राह फीस के कारण बंद हो रही थी, उनके लिए इंदौर कलेक्टर आशीष सिंह उम्मीद की एक नई किरण बनकर सामने आए। आर्थिक तंगी से जूझ रहे 22 छात्रों की तकलीफ सुनने के बाद कलेक्टर ने जो किया, वो न सिर्फ प्रशासनिक संवेदनशीलता का उदाहरण है, बल्कि इंसानियत की मिसाल भी है।

दरअसल, बीते महीने कलेक्टर आशीष सिंह मूसाखेड़ी स्थित शासकीय हायर सेकेंडरी स्कूल के निरीक्षण पर पहुंचे थे। वहां 10वीं और 12वीं के कई छात्रों ने अपनी परेशानी साझा की। उन्होंने बताया कि उनके परिवार की आर्थिक स्थिति बेहद खराब है, माता-पिता दिहाड़ी मजदूरी करते हैं, और इतने पैसे नहीं हैं कि वे स्कूल की फीस और परीक्षा शुल्क भर सकें। छात्रों ने डबडबाई आंखों से कहा-“पिता मजदूरी करते हैं, बड़ी मुश्किल से घर चलता है। फीस मांगी तो उन्होंने साफ कह दिया कि पढ़ाई छोड़नी होगी। छात्रों की यह स्थिति सुनकर कलेक्टर भावुक हो गए।  आशीष सिंह ने अपने वेतन से ही 65 हजार रूपये का चेक बनाया और उक्त 22 बच्चों की फीस अदा भी कर दी।

कलेक्टर आशीष सिंह का यह कदम सिर्फ प्रशासनिक पहल नहीं, बल्कि उन तमाम बच्चों के लिए प्रेरणा है, जो आर्थिक कठिनाइयों के बावजूद पढ़ना चाहते हैं। उनका यह कार्य यह दर्शाता है कि जब किसी पद पर बैठा इंसान दिल से जिम्मेदारी निभाता है, तो कई जिंदगियां संवर जाती हैं।

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