Ujjain news: श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी, क्षिप्रा नदी पर किया दीपदान
कार्तिक मास की पूर्णिमा सालभर में आने वाली 12 पूर्णिमाओं में विशेष महत्व रखती है। इसके विशिष्ट कारण यह हैं कि यह पूर्णिमा भगवान महाविष्णु के प्रबोधन के पांचवें दिन आती है। इसी पूर्णिमा से ऋतु काल का परिवर्तन सृष्टि में नई सृजन की स्थिति को तैयार करता है.
उज्जैन पूर्णिमा तिथि इस बार सोमवार को कृतिका नक्षत्र में आरंभ तथा चंद्र दर्शन रोहिणी नक्षत्र में होने से इसकी संज्ञा महापुण्य और महाकार्तिकी नाम से जानी जाती है। इस पूर्णिमा पर पितरों के निमित्त दीपदान भगवान विष्णु के निमित्त विशेष साधना पूजन पाठ और भगवान शिव की अभिषेकात्मक पूजन, सुख सौभाग्य में वृद्धि एवं दीर्घायु तथा धन-धान्य की प्राप्ति तथा सात जन्म पर्यंत धन की पूर्णता का आशीर्वाद प्रदान करती है।
कार्तिक मास संपूर्ण रुप से दान धर्म, यम, नियम, संयम का माना जाता है। इस दौरान यम के निमित्त दीपदान, पितरों के निमित्त तर्पण, भगवान विष्णु की पूजन तथा भगवान शिव के अभिषेक की भी मान्यता धर्मशास्त्र और पुराण में बताई जाती है।