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Indore: किस्सा इंदौर की ऐतिहासिक रेसीडेंसी कोठी का, आखिर क्यों नए नाम का हो रहा विरोध

इंदौर की सियासत में रेसीडेंसी कोठी के नाम बदलने का किस्सा गर्माने लगा है, रेसीडेंसी को शिवाजी कोठी करने की बजाय देवी अहिल्या बाई कोठी करने की मांग तेज हो चली है। पहले ये मांग कांग्रेस ने की थी, अब पुण्यश्लोका संस्था ने तो रेसीडेंसी कोठी पर अहिल्या बाई कोठी नाम का बैनर तक लगा दिया।

इंदौर में पिछले हफ्ते हुई मेयर इन काउंसिल की बैठक में रेसीडेंसी कोठी का नाम बदलकर शिवाजी कोठी करने का प्रस्ताव पास हुआ था। इस प्रस्ताव के शहर की सियासत में नाम बदलने का विरोध हुआ, कांग्रेस ने शिवाजी नाम का महाराष्ट्र चुनाव कनेक्शन निकालकर रेसीडेंसी कोठी को अहिल्या कोठी की मांग की। वही कांग्रेस के बाद अब संस्था पुण्यश्लोका ने इसका विरोध किया है। संस्था के कार्यकर्ताओं ने रेसीडेंसी कोठी का नाम देवी अहिल्या विश्राम गृह रखने की मांग की है। विरोध-प्रदर्शन के दौरान रेसीडेंसी कोठी पर देवी अहिल्या कोठी नाम का बैनर भी लगा दिया है।

गौरवशाली इतिहास और होलकर राजा-महाराजाओं व अंग्रेजों के शासन की गवाह 206 साल पुराणी रेसीडेंसी कोठी अपने आप में कई यादें समेटे हुए है। यह होलकर राजाओं के सत्ता संचालन और अंग्रेजी हुकूमत गुलामी के निशान, आजादी के बाद देश के शीर्ष नेताओं की लगातार आमद की अनेक कहानियों की साक्षी है। संस्था पुण्यश्लोका का मानना है कि रेसीडेंसी कोठी का नाम शिवाजी कोठी रखने के पीछे का फैसला राजनीति से प्रेरित है।

इंदौर की रेसीडेंसी कोठी लगभग सभी राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मुख्यमंत्री तथा विशिष्ट जनों की पसंदीदा रही है। कुल मिलाकर रेसीडेंसी कोठी के नाम का विरोध अब धीरे धीरे बढ़ने लगा है। 

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