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MP: स्वतंत्रता दिवस से पहले सत्यनारायण पटेल ने किया समाजसेवियों का सम्मान, कही ये बात

इंदौर में 09 अगस्त 1942 को आजादी का सूर्योदय हुआ था। इस दिन को याद रखना इसलिए भी जरूरी है कि, इसी दिन पहली बार महात्मा गांधी ने अंग्रेजो भारत छोड़ो का नारा दिया था, और गांधीजी के दो पग के पीछे लाखों भारतवासीयों के पग साथ हो गये थे। इसलिए इस दिन को आजादी का सूर्योदय कहा जा सकता है। देश की आजादी में अनगिनत स्वतंत्रता सेनानियों और शहीदों की कुर्बानी का योगदान है। आज हम उन्हीं कुर्बानियों को भुलाते जा रहे है। नई पीढ़ी को आजादी के संघर्ष और स्वतंत्रता सेनानियों के बारे में अवगत कराना बहुत जरूरी है।

1948 में महात्मा गांधी की हत्या के साथ ही हमारी आजादी में आतंकवाद की शुरूआत हुई थी, और इसी दिन आजादी का सूर्यास्त हो गया था। अब सूर्यास्त को वापस सूर्योदय में बदलने की जरूरत है। यह सिलसिला 3 गोली से शुरू होकर 1984 में इंदिरा गांधी की 18 गोलियों से हत्या में बदल गया। जो 3 गोलियां आतंकियों ने बोई थी, उन्हीं 18 गोलियों की फसल उगकर श्रीमती गांधी की हत्या में बदली। गोली का सिलसिला बम तक जा पहुंचा और 1991 में राजीव गांधी को मानव बम ने हमसे छिन लिया। देश में इन तीन गांधियों ने अपनी कुर्बानी देकर हमारी आजादी को कायम रखा है और हमें इस आजादी को बनाये रखने की बेहद आवश्यकता है। इसके लिए समय-समय पर स्वतंत्रता सेनानी, उत्तराधिकारी एवं वंशजों को याद करने के लिए समारोह होना चाहिए ताकि नई पीढ़ी भी आजादी के इन अवशेषों के बारे में जान सके। उक्त उद्बोधन अ.भा. कांग्रेस कमेटी के राष्ट्रीय सचिव एवं पूर्व विधायक सत्यनारायण पटेल ने कहे।

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