MP News: राष्ट्रपति मुर्मु का देश के नाम संबोधन, कहा- राष्ट्र सेवा के हर क्षेत्र में बढ़-चढ़कर योगदान दे रहीं महिलाएं
राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 77वें स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर देश के नाम अपने संबोधन दिया , जिसकी शुरुआत राष्ट्रपति ने देशवासियों को बधाई देते हुई की। उन्होंने कहा कि यह दिन हम सब के लिए गौरवपूर्ण और पावन है। चारों ओर उत्सव का वातावरण देखकर मुझे बहुत प्रसन्नता हो रही है। राष्ट्रपति ने कहा कि स्वतंत्रता दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हम केवल एक व्यक्ति ही नहीं हैं, बल्कि हम एक ऐसे महान जन-समुदाय का हिस्सा हैं जो अपनी तरह का सबसे बड़ा और जीवंत समुदाय है। यह विश्व के सबसे बड़े लोकतंत्र के नागरिकों का समुदाय है। उन्होंने कहा कि जाति, पंथ, भाषा और क्षेत्र के अलावा, हमारी अपने परिवार और कार्य-क्षेत्र से जुड़ी पहचान भी होती है। लेकिन हमारी एक पहचान ऐसी है जो इन सबसे ऊपर है, और हमारी वह पहचान है, भारत का नागरिक होना। राष्ट्रपति ने अपने संबोधन में बताया कि हम सभी, समान रूप से, इस महान देश के नागरिक हैं। हम सब को समान अवसर और अधिकार उपलब्ध हैं तथा हमारे कर्तव्य भी समान हैं। गांधीजी तथा अन्य महानायकों ने भारत की आत्मा को फिर से जगाया और हमारी महान सभ्यता के मूल्यों का जन-जन में संचार किया।
राष्ट्रपति ने महिला सशक्तिकरण पर बोलते हुए कहा कि सरोजिनी नायडू, अम्मू स्वामीनाथन, रमा देवी, अरुणा आसफ अली और सुचेता कृपलानी जैसी अनेक महिला विभूतियों ने अपने बाद की सभी पीढ़ियों की महिलाओं के लिए आत्म-विश्वास के साथ, देश तथा समाज की सेवा करने के प्रेरक आदर्श प्रस्तुत किए हैं। आज महिलाएं विकास और देश सेवा के हर क्षेत्र में बढ़-चढ़कर योगदान दे रही हैं तथा राष्ट्र का गौरव बढ़ा रही हैं।
आज हमारी महिलाओं ने ऐसे अनेक क्षेत्रों में अपना विशेष स्थान बना लिया है जिनमें कुछ दशकों पहले उनकी भागीदारी की कल्पना भी नहीं की जा सकती थी। मैं सभी देशवासियों से आग्रह करती हूं कि वे महिला सशक्तीकरण को प्राथमिकता दें। मैं चाहूंगी कि हमारी बहनें और बेटियाँ साहस के साथ, हर तरह की चुनौतियों का सामना करें और जीवन में आगे बढ़ें। देश की विकास गाथा का बखान करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि भारत, पूरी दुनिया में, विकास के लक्ष्यों और मानवीय सहयोग को बढ़ावा देने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है। चूंकि G20 समूह दुनिया की दो-तिहाई जनसंख्या का प्रतिनिधित्व करता है, इसलिए यह हमारे लिए वैश्विक प्राथमिकताओं को सही दिशा में ले जाने का एक अद्वितीय अवसर है।
देश ने चुनौतियों को अवसरों में बदला है और प्रभावशाली GDP growth भी दर्ज की है। मुश्किल दौर में भारत की अर्थव्यवस्था न केवल समर्थ सिद्ध हुई है बल्कि दूसरों के लिए आशा का स्रोत भी बनी है। वंचितों को वरीयता प्रदान करना हमारी नीतियों और कार्यों के केंद्र में रहता है। परिणामस्वरूप पिछले दशक में बड़ी संख्या में लोगों को गरीबी से बाहर निकालना संभव हो पाया है।
राष्ट्रपति ने देश के आदिवासी समाज अपील की कि आप सब अपनी परंपराओं को समृद्ध करते हुए आधुनिकता को अपनाएं। उन्होंने कहा कि जरूरतमंदों की सहायता के लिए विभिन्न क्षेत्रों में पहल की गयी है तथा व्यापक स्तर पर कल्याणकारी कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं। मैं एक शिक्षक रही हूँ, इस नाते भी मैंने यह समझा है कि शिक्षा, सामाजिक सशक्तीकरण का सबसे प्रभावी माध्यम है।
चंद्रमा का अभियान अन्तरिक्ष के हमारे भावी कार्यक्रमों के लिए केवल एक सीढ़ी है। हमें बहुत आगे जाना है। अनुसंधान, नवाचार तथा उद्यमशीलता को बढ़ावा देने के लिए, अगले पांच वर्षों में 50,000 करोड़ रुपये की राशि के साथ सरकार द्वारा Anusandhaan National Research Foundation स्थापित किया जा रहा है। यह Foundation हमारे कॉलेजों, विश्वविद्यालयों और अनुसंधान केन्द्रों में Research एवं Development को आधार प्रदान करेगा, उन्हें विकसित करेगा तथा आगे ले जाएगा। अंतर्राष्ट्रीय सौर-ऊर्जा अभियान को भारत ने नेतृत्व प्रदान किया है। विश्व समुदाय को हमने LiFE यानि Lifestyle for Environment का मंत्र दिया है। लोभ की संस्कृति दुनिया को प्रकृति से दूर करती है और अब हमें यह एहसास हो रहा है कि हमें अपनी जड़ों की ओर लौटना चाहिए।