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MP: शिवराज के नक्शे कदम पर नहीं चलेंगे CM मोहन, क्या है पूरा मामला, जानिए

पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज के नक्शे कदम पर सीएम मोहन नही चलेंगे, शिवराज सरकार ने अनुपयोगी सरकारी संपत्ति बेचकर सरकारी खजाना भरने की जो परंपरा चलाई थी, उस परंपरा का पालन मोहन सरकार नही करेगी, सीएम मोहन अनुपयोगी सरकारी संपत्ति बेचने की बजाय बेहतर उपयोग और प्रबंधन के पक्ष में है। जिसे लेकर सीएम मोहन ने वित्त विभाग को निर्देश भी दिए है।

मध्यप्रदेश में अनुपयोगी सरकारी संपत्तियों को बेचकर सरकारी खजाना भरने की जो परिपाटी पूर्व मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शुरू की थी, मोहन सरकार उस पर अमल नहीं करेगी। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव के नेतृत्व वाली एमपी सरकार अनुपयोगी सरकारी संपत्तियों को बेचने के पक्ष में नहीं है। सूत्रों का कहना है कि मोहन सरकार अनुपयोगी सरकारी संपत्तियों का बेहतर उपयोग और प्रबंधन करने के पक्ष में हैं। इससे जहां सरकारी संपत्ति वैसी की वैसी तो रहेगी ही उससे आय भी होगी। यानी शिव ‘राज’ के नक्शे कदम पर मोहन ‘राज’ नहीं चलेगा।

दरअसल, पूर्व की शिवराज सरकार ने प्रदेश सरकार पर बढ़ते कर्ज के दबाव को कम करने के लिए प्रदेशभर में फैली अनुपयोगी सरकारी संपत्तियों को बेचने का सिलसिला शुरू किया था। लेकिन वर्तमान मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव सरकारी संपत्तियों को बेचने के कतई पक्ष में नहीं है। यही वजह है कि डॉ. मोहन यादव के मुख्यमंत्री बनने के बाद से लोक परिसंपत्ति विभाग ने एक भी संपत्ति को नहीं बेचा है। मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने पहली ही बैठक में सरकारी संपत्ति बेचने पर रोक लगा दी थी।

सरकारी संपत्तियों का बेहतर उपयोग और प्रबंधन करने के लिए मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने सर्वे कराने का निर्देश दिए है। मुख्यमंत्री के निर्देश के बाद वित्त विभाग ने सभी विभागों को लिखे पत्र में कहा है कि मुख्य सचिव दूसरे राज्यों में स्थित सरकार की संपत्ति को लेकर जल्द समीक्षा करेगी। कुल मिलाकर मुख्यमंत्री मोहन यादव के इस फैसले को प्रदेश के हित में बताया जा रहा है।

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