MP Assembly Election 2023 में हो सकता है प्रयोग, नए चेहरे को मौका दे सकते हैं BJP और कांग्रेस
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(एमपी न्यूज के लिए भोपाल से राकेश शर्मा की रिपोर्ट)
मध्यप्रदेश में होने वाले विधानसभा चुनाव में इस बार नए चेहरे नजर आएंगे। इस बार दोनों ही पॉलिटिकल पार्टी नए चेहरों पर दांव खेलकर चुनावी मैदान में फतह हासिल करने की तैयारी कर रही है। नगरीय निकाय चुनाव में पार्टियां इस प्रयोग पर सफल हो चुकी हैं।
चुनाव में पोलोटिकल पार्टियां नए प्रयोग पर हमेशा भरोसा करती है। संघ और बीजेपी की प्रयोग भूमि कहे जाने वाले मप्र में इस बार भाजपा हाईकमान विधानसभा चुनाव में एक नया प्रयोग करने जा रहा है। इस प्रयोग के तहत इस बार भाजपा हर जिले में प्रत्याशी के तौर पर एक नया चेहरा उतारेगी। यह चेहरा सामाजिक, धार्मिक, शिक्षा आदि किसी भी क्षेत्र से हो सकता है। इसके पीछे पार्टी की मंशा है कि जिले में सामाजिक या अन्य क्षेत्र में सक्रिय व्यक्ति को चुनाव में टिकट दिया जाए, ताकि इस दिशा में काम करने वाले लोगों को महत्व मिल सके और समाज में एक अच्छा संदेश जाए। भाजपा के इस प्रयोग से इस बार चुनाव में कई चौकाने वाले नाम सामने आ सकते हैं।
इस बार पहली सूची में ही भाजपा ने अपनी कमजोर कडिय़ों पर फोकस करते हुए कई नए चेहरों पर पर दांव लगाया है। दरअसल, पांचवीं बार विधानसभा चुनाव जीतने को आतुर भाजपा ने फिर से अपने किले को और मजबूत करने के लिए मुक्कमल प्लान बना लिया है। पार्टी सूत्रों का दावा है कि सबसे पहले भाजपा करीब 90 से 100 नए विधानसभा उम्मीदवारों पर दांव लगाएगी। करीब 40 फीसदी नए उम्मीदवारों को भाजपा विधानसभा चुनाव में मौका देगी। 2018 विधानसभा चुनाव में हारी हुई, सीटों में से ज्यादातर सीटों पर नए प्रत्याशियों को पार्टी टिकट देगी। जबकि जीती हुई 130 सीटों में से भी 10-15 फीसदी से ज्यादा सीटों पर मौजूदा मंत्रियों और विधायकों के टिकट काटे जाएंगे साथ ही उन नेताओं का भी टिकट कटेगा, जिनके खिलाफ एंटी इनकंबेंसी ज्यादा है। अब बात करे मुख्य विपक्षी दल कांग्रेस की तो इस बार कांग्रेस भी कुछ इसी ही तरह के मूड में है। कांग्रेस का दावा है कि उसने लोकसभा से लेकर विधानसभा चुनाव तक मे युवाओं को मौका दिया है।
भाजपा सूत्रों की मानें तो जीते हुए विधायकों के साथ ही भाजपा प्रदेश के 40 से 45 जिलों में एक-एक प्रत्याशी ऐसा उतारने की रणनीति पर काम कर रही है, जो नया चेहरा हो। इतना ही नहीं, यह चेहरा मूल पार्टी के नेता, कार्यकर्ता से इतर भी हो सकता है। विधानसभा चुनाव के लिए हारी हुई सीटों में से 39 पर अपने प्रत्याशी उतारकर भाजपा चुनावी कवायद में आगे है। दूसरे दौर में भी हारी हुई सीटों पर मंथन जारी है। अब इंतजार कांग्रेस की सूची का किया जा रहा है, जिसमें की किस तरह पार्टी युवाओं को तरजीह देती है।